नई दिल्ली फ़रवरी 19, 2012। भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा गऊ मांस के निर्यात की संस्तुति से आहत दिल्ली के प्रमुख धार्मिक व सामाजिक संगठन लामबन्द नजर आए। सभी ने एक स्वर से प्रस्ताव पारित कर सरकार की थू-थू करते हुए इसे हिन्दुओं की आस्था पर चोट व देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ़ एक घिनौना षडयंत्र करार दिया। लगभग एक दर्जन से अधिक प्रमुख हिन्दुवादी व राष्ट्र प्रेमी गौ भक्तों के संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों तथा पूज्य संतों ने सरकार को चेतावनी भरे स्वर में कहा कि यदि सरकार गऊ माता की हत्या पर उतारू रहती है तो देश भर में एक ऐसा लोकतांत्रिक अलख जगाएंगे कि यूपीए सरकार तो क्या इसको समर्थन देने वाले भी धराशायी नजर आएंगे।वैठक की जानकारी देते हुए विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख बताया कि दिल्ली के झण्डेवाल देवी मन्दिर के सभागार में आज प्रात: से ही बैठक में आने वाले गौ भक्तों के माथे पर गौमांस निर्यात को लेकर चिन्ता साफ़ नजर आ रही थी। पूज्य संतों की अध्यक्षता में भारतीय गौवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद दिल्ली द्वारा बुलाई गई इस बैठक में जब सबने अपनी-अपनी बात रखी तो उपस्थित गौ भक्त सरकार के इस ह्रदयवेधक कार्य के खिलाफ़ आपने क्रोध को रोक न सके। उनकी भाषा शैली में आहत भावनाओं का समावेश स्पष्ट नजर आ रहा था। सभी ने एक स्वर से प्रस्ताव पारित कर सरकार से आग्रह किया कि अपने पशुपालन विभाग व योजना आयोग को तुरन्त निर्देश दे कि वे गौ मांस निर्यात संबन्धी अपने प्रस्ताव को अविलम्ब निरस्त कर देश के सौ करोड हिन्दुओं व क्रषि पर आधारित जनता से माफ़ी मागे अन्यथा इसके गम्भीर लोकतांत्रिक परिणाम भुगतने पडेंगे। यह भी तय किया गया कि यदि सरकार नहीं चेती तो हम न्यायालय की शरण में भी जाएंगे।भारतीय गौवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद के प्रान्त महामंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक को परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष , प्रदेश अध्यक्ष , विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय गौ रक्षा प्रमुख , क्षेत्रीय गौरक्षा प्रमुख , प्रान्त उपाध्यक्ष , वरिष्ठ अधिवक्ता , राष्ट्रीय गौधन महा संघ , हिन्दू महा सभा , हरियाणा राज्य गौ शाला संघ , राष्ट्रीय सिक्ख संगत , गायत्री परिवार , दिव्य योग जाग्रति मिशन , वानर सेना , आर्य समाज , भाजपा के गौवंस विकास प्रकोष्ठ , भारत गौ सेवक समाज , जैन समाज , अखिल भारत हिन्दू महा सभा व लव फ़ोर काऊ के साथ संतों , जैनाचार्य अनेक गौ भक्तों ने संबोधित किया।
गौ मांस निर्यात खोलने से नाराज विहिप ने भेजा प्रधान मंत्री को पत्र (योजना आयोग को भी चेताया, कहा गौ मांस का निर्यात घिनौनी करतूत)
नई दिल्ली फ़रवरी 17, 2012। विश्व हिन्दू परिषद ने भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा गऊ मांस के निर्यात को खोले जाने की संस्तुति पर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करते हुए प्रधान मंत्री डा मनमोहन सिंह को एक पत्र भेजा है। विहिप के वरिष्ठ सलाहकार श्री अशोक सिंहल, उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल व अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री श्री चंपत राय द्वारा हस्ताक्षरित यह ज्ञापन प्रधान मंत्री के साथ योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री मोन्टेक सिंह अहलूवालिया को भी भेजा गया है। ज्ञापन में यह मांग की गई है कि सौ करोड से अधिक भारतीयों की आस्था व विश्वास का केन्द्र, देश की क्रषि आधारित अर्थव्यवस्था की नींव, पर्यावरण की रक्षक व संविधान तथा न्यायालयों के निर्णयानुसार संरक्षित गऊ माता के मांस के निर्यात संबन्धी घ्रणित प्रस्ताव को अविलम्ब निरस्त किया जाए। पत्र की प्रति मीडिया को जारी करते हुए विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख ने बताया कि बारहवीं पंच-वर्षीय योजना (2012-2017) के लिए भारत सरकार के पशुपालन व डेयरी विभाग के वर्किंग ग्रुप ने योजना आयोग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसके अध्याय -12 के पैरा 12-3-1 के अन्तर्गत यह कहा गया है कि “वर्तमान में गऊ मांस निर्यात पर प्रतिवन्ध है; अत: आयात निर्यात नीति में आवश्यक संशोधन कर गऊ मांस के निर्यात की स्वीक्रति दी जाए”। इस प्रस्ताव पर अपनी कडी आपत्ति दर्ज करते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने प्रधान मंत्री को लिखा है कि देश की हरित क्रांति व स्वेत क्रान्ति का आधार, गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज तथा छत्रपति शिवा जी महाराज के “गऊ, गरीव और धर्म” के संदेश, महात्मा गांधी के गऊ रक्षा के संकल्प, नामधारी समाज के गऊ रक्षार्थ बलिदान को सदा याद रखते हुए ऐसे शर्मनाक, बेहूदे व दुखदायी प्रस्ताव को वे तुरन्त निरस्त करें। ज्ञापन में संविधान के अनुच्छेद 48 में निहित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में गऊबंस की रक्षा के संकल्प, अनुच्छेद 51ए(1)(जी) में निहित प्राणियों के प्रति करुणा भाव संवंधी मौलिक कर्तव्यों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के गुजरात सरकार वनाम मिर्जापुर मोती कुरेशी कसाब जमात व अन्य के संम्बन्ध में दिए गये निर्णय का जिक्र भी किया गया है जिसमें केन्द्र सरकार को, गऊ मांस निर्यात से होने वाली हानियों का वर्णन करते हुए, इस पर रोक लगाने को कहा गया था। विहिप ने चेताया है कि यदि इस प्रस्ताव को तुरन्त निरस्त नहीं किया गया तो संतों के नेतृत्व में हिन्दू समाज सडकों पर उतरने को मजबूर होगा।
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